एड्स जिस तरह से दुनिया में फैल रहा है उससे साइंस का चिंतित होना लाज़िमी है। एड्स से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में एशिया प्रशांत महासागर के 10 देश हैं जिनमें चीन और पाकिस्तान के साथ भारत भी शामिल है। एशिया प्रशांत महासागर के इन 10 देशों में 10 से 19 वर्ष आयु वर्ग के 98 प्रतिशत किशोर एचआईवी की समस्या से जूझ रहे हैं। यह बात हाल ही में जारी हुई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कही गई है।
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के अनुसार एशिया प्रशांत क्षेत्र के अधिकतर किशोर एचआईवी की ‘छिपी महामारी’ से जूझ रहे हैं। इस महामारी का जल्द ही समाधान नहीं खोजा गया तो परिणाम भयावह हो सकते हैं। इन भयावह परिणामों का अंदेशा एक दूसरी रिपोर्ट ने भी जताया है।
दूसरी रिपोर्ट, जो कि एशिया पैसिफिक इंटर एजेंसी टास्क टीम ऑन यंग की पॉपुलेशन द्वारा प्रकाशित की गई है, के अनुसार एशिया-प्रशांत में 2014 में 10 से 19 वर्ष के 2,20,000 किशोर एचआईवी से पीड़ित पाए गए। इस टीम ने ‘ऐडोलसेंट्स: अंडर द रडार इन द एशिया पैसिफिक एड्स रिस्पॉन्स’ रिपोर्ट जारी की है जिसमें चेताया भी गया है कि किशोरों में एचआईवी की समस्या से निपटे बिना इस महामारी से सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे की समस्या को 2030 तक समाप्त नहीं किया जा सकेगा।
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के अनुसार एशिया प्रशांत क्षेत्र के अधिकतर किशोर एचआईवी की ‘छिपी महामारी’ से जूझ रहे हैं। इस महामारी का जल्द ही समाधान नहीं खोजा गया तो परिणाम भयावह हो सकते हैं। इन भयावह परिणामों का अंदेशा एक दूसरी रिपोर्ट ने भी जताया है।
दूसरी रिपोर्ट, जो कि एशिया पैसिफिक इंटर एजेंसी टास्क टीम ऑन यंग की पॉपुलेशन द्वारा प्रकाशित की गई है, के अनुसार एशिया-प्रशांत में 2014 में 10 से 19 वर्ष के 2,20,000 किशोर एचआईवी से पीड़ित पाए गए। इस टीम ने ‘ऐडोलसेंट्स: अंडर द रडार इन द एशिया पैसिफिक एड्स रिस्पॉन्स’ रिपोर्ट जारी की है जिसमें चेताया भी गया है कि किशोरों में एचआईवी की समस्या से निपटे बिना इस महामारी से सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे की समस्या को 2030 तक समाप्त नहीं किया जा सकेगा।


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