
एक नए अध्ययन से पता चला है कि कम सोने से बच्चों के बौद्धिक स्तर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. कनाडा के मोंट्रील विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शोधकर्ता रोजर गॉडबाउट ने कहा, “यह अध्ययन ज्ञान संबंधी क्षमताओं में नींद की महत्वपूर्ण भूमिका की पुष्टि करता है.”
यह अध्ययन 13 स्वलीन (ऑटिस्टिक) और 13 तंत्रिका रोग से पीड़ित (न्यूरोटिक) बच्चों पर किया गया. शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि निद्रा के दौरान बाधा पहुंचाने से मस्तिष्क की तरंगें बाधित होती हैं, जिससे बच्चों के बौद्धिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह निष्कर्ष दोनों समूहों के बच्चों पर किए गए. इस शोध में यह भी पता चला कि रातभर गुणवत्ता निद्रा लेने से बच्चों के बौद्धिक कामकाज को बढ़ावा मिलता है.
गॉडबाउट ने कहा, “इस शोध से यह सिद्ध हो जाता है कि बच्चे और किशोर नींद की कमी की वजह से प्रभावित होते हैं.” यह शोध अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘साइकोफिजियोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ.
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