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Wednesday, 10 February 2016

डेंगू से बचने के आसान तरीके

  • डेंगू वायरस से होने वाली बीमारी है।
  • इम्‍यूनिटी कमजोर वाले लोग प्रभावित।
  • नाक या मसूड़ों से खून आने लगता है।
  • मच्छरों से बचने का प्रयास करना चाहिए।
डेंगू एक ऐसी बीमारी है जो कि वायरस से होती है और यह वायरस मच्छरों के द्वारा फैलता है। डेंगु के लक्षण हैं सर दर्द होना, जोड़ो में मांसपेशियों में और शरीर में दर्द होना। तेज बुखार, चिड़चिड़ापन और सिरदर्द डेंगू के मुख्य लक्षण हैं।
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डेंगू का फैलना

  • डेंगू बुखार उस मच्छर के काटने से होता है जिसने पहले से ही किसी डेंगू के मरीज को काटा है। यह मच्छर बारिश के मौसम में बहुत ही तेज़ी से फैलता है और यह कहीं भी रूके पानी में प्रजनन प्रक्रिया शुरू कर देता है जैसे प्लास्टिक बैग, कैन, गमले या सड़को या कूलर में जमा पानी। मच्छर के एक बार काट लेने से ही डेंगू बुखार हो जाता है।
  • यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। वायरस के फैलने के लिए बीमार व्यक्ति का मच्छर से और फिर मच्छर का स्वस्थ व्यक्ति से सम्पर्क बहुत ही ज़रूरी है।
  • डेंगू उन लोगों को जल्दी प्रभावित करता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। यह चार तरीके के वायरस में से किसी एक के काटने से होता है। ऐसा सम्भव है कि डेंगू बुखार एक व्यक्ति को कई बार हो सकता है।
  • एक बार डेंगू हो जाने पर शरीर में आजीवन इस बीमारी से लड़ने के लिए इम्यूनिटी पैदा हो जाती है लेकिन यह इम्यूनिटी उस वायरस से ही होती है, जिसने कि मरीज़ को प्रभावित किया हो।

डेंगू के लक्षण:

  • डेंगू के मच्छर के काटने के बाद इसका इन्क्युबेशन पीरियड 3 से 15 दिनों तक रहता है, इस समय डेंगू के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते।
  • डेंगू की शुरूआत तेज बुखार, सिरदर्द और पीठ में दर्द से होती है। शुरू के 3 से 4 घंटों तक जोड़ों में भी बहुत दर्द होता है। अचानक से शरीर का तापमान 104 डिग्री हो जाता है और ब्लड प्रेशर भी नार्मल से बहुत कम हो जाता है।
  • आंखें लाल हो जाती हैं और स्किन का रंग गुलाबी हो जाता है। गले के पास की लिम्फ नोड सूज जाते हैं। डेंगू बुखार 2 से 4 दिन तक रहता है और फिर धीरे धीरे तापमान नार्मल हो जाता है।
  • मरीज ठीक होने लगता है और फिर से तापमान बढ़ने लगता है। पूरे शरीर  में दर्द होता है। हथेली और पैर भी लाल होने लगते है।
  • डेंगू हिमोरेगिक बुखार सबसे खतरनाक माना जाता है जिसमें कि बुखार के साथ-साथ शरीर में खून की कमी हो जाती है। शरीर में लाल या बैगनी रंग के फफोले पड़ जाते हैं। नाक या मसूड़ो से खून आने लगता है। स्टूल का भी रंग काला हो जाता है। यह डेंगू की सबसे खतरनाक स्थिति होती है।
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डेंगू का उपचार

जैसा कि हम सभी जानते है कि डेंगू वायरस से होने वाली बीमारी है इसलिए इसके इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। डेंगू का इलाज इससे होने वाली परेशानियों को कम कर के ही किया जा सकता है। बुखार में  आराम करना और पानी की कमी को पूरा करना बहुत ही ज़रूरी हो जाता है। डेंगू बुखार से मौत निश्चित नहीं है। डेंगू बुखार से होने वाली मौतें 1 प्रतिशत से भी कम है। यह बीमारी अकसर एक से दो हफ्ते तक रहती है।
 

डेंगू से बचने के कुछ तरीके

  • डेंगू से बचने के लिए मच्छरों से बचना बहुत जरूरी है जिनसे डेंगू के वायरस फैलते हैं।
  • ऐसी जगह जहां डेंगू फैल रहा है वहां पानी को रूकने नहीं देना चाहिए जैसे प्लास्टिक बैग, कैन, गमले या सड़को या कूलर में जमा पानी।
  • मच्छरों से बचने का हर सम्भव प्रयास करना चाहिए जैसे मच्छरदानी लगाना, पूरी बांह के कपड़े पहनना आदि।
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