इस बात का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है कि अगर यूसुफ हमीद के नेतृत्व वाली कंपनी सिपला ने अफ्रीका में किफायती दामों पर दवा मुहैया न करायी होती, तो क्या होता। यह उन्होंने तब किया जब बड़ी फॉर्मा कंपनियों की नजर मुनाफे पर थी। यहां तक कि एचआईवी/एड्स के खिलाफ लड़ी जाने वाली जंग में भारत के मॉडल की सराहना संयुक्त राष्ट्र के सचिव बान की मून और यूएनएड्स के निदेशक माइकल सिडिबल जैसे नामी-गिरामी लोग भी करते है।
सच्चाई भी यह है कि तमाम स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और सेक्स जैसे विषय को लेकर यहां खुलकर बात नहीं की जाती। इसके बावजूद भारत ने इस क्षेत्र में काफी अच्छा काम किया है। आइए हम पांच ऐसे मुद्दों को जानने की कोशिश करते हैं, जो इस बात को समझने में हमारी मदद करेंगे कि आखिर एचआईवी एड्स के खिलाफ जंग में भारत कहां खड़ा होता है और आखिर इस मामले में उसकी स्थिति क्या है, उसके सामने क्या चुनौतियां हैं और आखिर उनसे कैसे निपटा जा सकता है।
- भारत में 25 लाख लोग हैं एचआईवी से ग्रस्त।
- सामाजिक जागरुकता फैलाना जरूरी।
- सरकारी प्रयासों से पायी है काफी सफलता।
- लाइलाज बीमारी है एड्स।

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