- महिलाओं को अधिक होती है हॉट फ्लैश की समस्या।
- हॉट फ्लैश के दौरान बहुत अधिक पसीना आता है।
- 40 की उम्र के बाद कम होने लगता है टेस्टोस्टोरेन का स्तर।
- पोटेशियम की कमी से कब्ज और मांसपेशियों ऐंठन हो सकती है।
हॉट फ्लैश को अक्सर महिलाओं के मेनोपॉज के साथ जोड़कर देखा जाता है, लेकिन अपने जीवन में पुरुषों को भी इसका सामना एक बार करना पड़ता है। ऐसा भी कहा जाता है कि पुरुषों के शरीर में पोटेशियम की कमी होने के कारण भी ऐसी समस्या हो सकती है। तो, आखिर क्या है इसके पीछे की वास्तविकता और क्या हैं भ्रम-
महिलाओं में हॉट फ्लैश मेनोपॉज का सबसे प्रमुख लक्षण माना जाता है। अब क्योंकि पुरुषों को मेनोपॉज से नहीं गुजरना पड़ता है, तो आखिर उन्हें हॉट फ्लैश का सामना क्यों करना पड़े- यह सवाल जेहन में जरूर आता है। इस बारे में कई थ्योरी हैं। इनमें से एक के मुताबिक जब पुरुषों के शरीर में पोटेशियम की मात्रा कम हो जाती है, तब उन्हें ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन, क्या यह बात पूरी तरह से सच है-पोटेशियम की कमी के कारण पुरुषों को हॉट फ्लैश का सामना नहीं करना पड़ता। दरअसल, हॉट फ्लैश को मुख्य रूप से महिलाओं में फीमेल हॉर्मोन की कमी से जोड़कर ही देखा जाता है। यह हार्मोन हायपोथालामस को प्रभावित करता है। यह मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। पुरुषों को भी हॉट फ्लैश का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन जैसाकि कहा जाता है कि इसका संबंध पोटेशियम से है, सच नहीं है। बल्कि पुरुष सेक्स हार्मोन के कारण उन्हें ऐसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में गिरावट
चालीस की उम्र पर पहुंचने के बाद पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में एक प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से गिरावट आने लगती है। लेकिन, समय के साथ-साथ टेस्टोस्टेरॉन कम होने की यह गति मद्धम पड़ जाती है। और पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन गिरना कम हो जाता है, ऐसे में उन्हें हॉट फ्लैशस का सामना नहीं करना पड़ता। इसका अर्थ यह नहीं कि पुरुषों को भी हॉट फ्लैश का सामना नहीं करना पड़ता, लेकिन उन्हें ऐसा होने की संभावना बहुत कम होती है। हॉट फ्लैश के अधिक मामलों का संबंध प्रोस्टेट कैंसर के इलाज से होता है। कुछ पुरुषों को एंड्रोजन डेप्रिवेशन थेरेपी से गुजरना पड़ता है, जो टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में गिरावट का कारण बन सकती है और इसका असर हायपोथालामस पर पड़ता है।
लक्षण
पुरुषों में हॉट फ्लैश के लक्षण वही होते हैं, जो महिलाओं में होते हैं। बहुत अधिक पसीने के साथ हीट वेव्स और त्वचा को निस्तब्ध करने वाली एक सनसनी की शिकायत हो सकती है। हावर्ड मेडिकल स्कूल का कहना है कि इस दौरान पुरुषों को हार्ट पेलपिटेशन और चिढ़चिढ़ेपन की शिकायत भी हो सकती है। जब शरीर बदलते हॉर्मोन स्तर के साथ तालमेल बैठाने लगता है, तो इस तरह के लक्षण हो सकते हैं। लेकिन, कई पुरुषों को अपने हॉट फ्लैश का इलाज करवाने के लिए चिकित्सीय सहायता की जरूरत पड़ती है।
इलाज
अगर आपको बहुत तेज हीट वेव्स का सामना करना पड़ रहा हो और आपके लिए यह काम मुश्किलों भरा हो रहा हो, तो जरूरी है कि आप डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर आपकी इस समस्या को दूर करने के लिए दवायें सुझा सकता है। विटामिन और पोटेशियम जैसे मिनरल आपके लिए अधिक फायदेमंद साबित नहीं होंगे। सेरोटोनिन अवरोधकों की मदद से पुरुषों को अपनी स्थिति में लाभ होता नजर आ सकता है। इनसे आपको इस परिस्थिति के कारण पैदा हुए अवसाद से छुटकारा पाने में भी मदद मिल सकती है। अपने डॉक्टर से बात करें और जानने का प्रयास करें कि आपके लिए किस प्रकार की दवा अधिक फायदेमंद होगी।
हालांकि, पोटेशियम की कम मात्रा हॉट फ्लैश का कारण नहीं बनती, लेकिन इससे कब्ज, कमजोरी, थकान, हृदय गति की अनियमितता और मांसपेशियों में ऐंठन जैसी शिकायतें हो सकती हैं। कुछ गंभीर मामलों में पोटेशियम की कमी के कारण पेरालाइसिस भी हो सकता है।
हालांकि, पोटेशियम की कम मात्रा हॉट फ्लैश का कारण नहीं बनती, लेकिन इससे कब्ज, कमजोरी, थकान, हृदय गति की अनियमितता और मांसपेशियों में ऐंठन जैसी शिकायतें हो सकती हैं। कुछ गंभीर मामलों में पोटेशियम की कमी के कारण पेरालाइसिस भी हो सकता है।


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